टीएनएस इंडिया ने यह पोल 21 नवंबर से 5 दिसंबर के बीच 35 विधानसभा क्षेत्रों में किया और 7,113 वोटरों से राय ली।
इसके मुताबिक, बीजेपी 46% वोट शेयर कायम रख सकती है। इतना ही इसे लोकसभा चुनाव में मिला था। यह 43-45 सीटें जीत सकती है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी 7% की छलांग के साथ 40% से ज्यादा वोट ले सकती है।
उसे 22-25 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि, पोल में शामिल 42% लोग केजरीवाल को सीएम के रूप में देखना चाहते थे। उनके बाद नंबर रहा केंद्रीय मंत्री हर्षवर्द्धन का, जिनके साथ 28% लोग थे।
बीजेपी को जो सपोर्ट मिल रहा है, वह पीएम के नाम पर मिल रहा है। सर्वे में कहा गया, 'बीजेपी के परफॉर्मेंस को नरेंद्र मोदी की इमेज से मदद मिल रही है। यहां तक कि सर्वे में बीजेपी समर्थक भी प्रदेश में नेतृत्व संकट से उलझन में दिखे और उनमें से 2% ने कहा कि वे केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनता देखना चाहते हैं।
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय और सीनियर लीडर जगदीश मुखी को महज 2-2% लोगों ने पसंद किया। सीएम पद के लिए स्मृति ईरानी को 1% वोट मिल गए।
केजरीवाल और हर्षवर्द्धन के बाद किरण बेदी को ही 10% से ज्यादा लोगों ने पसंद किया। बेदी को 11% लोग सीएम के रूप में देख रहे हैं। उन्हें 10% सपोर्ट बीजेपी समर्थकों से और 1% एएपी समर्थकों से मिला।
उलट-पुलट का एक मामला यह भी रहा कि केजरीवाल भले ही सीएम पद के लिए फेवरिट हों, उनके लिए नई दिल्ली सीट सेफ नहीं रह गई है। सर्वे में शामिल लोगों ने कहा, 'वहां उन्हें कड़ी चुनौती मिल सकती है।' पिछली बार वहां से उन्होंने शीला दीक्षित को हराया था।
आंकड़ों से पता चल रहा है कि केजरीवाल अपनी लोकप्रियता को पार्टी के विनिंग फॉर्म्युले में नहीं बदल पा रहे हैं। एएपी के नेताओं का कहा है कि उनके पास ऐसे लोगों की कमी है, जिनमें करिश्मा हो या जिनके पास बीजेपी से लड़ने के लिए धन-बल हो।